
बिजनेस डेस्क। भारत, जिसे कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था, एक समय दुनिया की सबसे समृद्ध अर्थव्यवस्था हुआ करता था। इतिहास गवाह है कि लंबे समय तक भारत वैश्विक आर्थिक ताकत के रूप में खड़ा रहा। लेकिन विदेशी आक्रमणों और औपनिवेशिक शासन ने देश की संपन्नता को गहरा नुकसान पहुंचाया। महमूद गजनवी से लेकर ब्रिटिश शासन तक, भारत की दौलत लगातार लूटी जाती रही।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रकाशित अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, 1765 से 1938 के बीच भारत से करीब 45 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति ब्रिटेन पहुंचाई गई। यह आंकड़ा आज की अमेरिकी जीडीपी से लगभग डेढ़ गुना और मौजूदा ब्रिटेन की जीडीपी से करीब 15 गुना अधिक बताया जाता है।
दुनिया के सबसे अमीर शासक
इतिहास में भारत के वैभव की सबसे बड़ी मिसाल मुगल काल में देखने को मिलती है। मुगलों के तीसरी पीढ़ी के शासक जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर को दुनिया के सबसे अमीर शासकों में गिना जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अकबर के पास उस दौर की वैश्विक संपत्ति का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा था।
अकबर के शासनकाल में व्यापारिक मार्गों का विस्तार हुआ और मजबूत कर प्रणाली लागू की गई। उनका साम्राज्य भारत के कई क्षेत्रों तक फैला था और व्यापार यूरोपीय देशों तक पहुंच चुका था। उस समय के बड़े व्यापारी अकबर के साथ कारोबार करना चाहते थे।
कितनी थी संपत्ति
इतिहासकारों के अनुसार, अकबर के दौर में राजस्व करीब 17.5 मिलियन पाउंड था, जबकि 1600 के बाद 1800 के आसपास ब्रिटेन का कुल खजाना लगभग 16 मिलियन पाउंड के आसपास बताया जाता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अकबर के खजाने में बेशकीमती रत्न और अपार संपत्ति शामिल थी, जिसके सामने आज की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भी टिक नहीं पातीं।