
नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर: सूरजपुर जिला अस्पताल में कथित रूप से विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध न होने के कारण एक महिला और उसके नवजात की मौत हो गई। स्वजन, प्रसूता को निजी वाहन और फिर एम्बुलेंस से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही प्रसव हो गया और नवजात ने दम तोड़ दिया। बाद में अंबिकापुर पहुंचने पर गर्भवती महिला को भी चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।
जानकारी के अनुसार सूरजपुर जिले के लाछा गांव की 38 वर्षीय गर्भवती कविता सिंह को सोमवार देर शाम अचानक तेज प्रसव पीड़ा होने लगी। स्वजन उसे तुरंत निजी वाहन से सूरजपुर जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन यहां कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था। नर्सों ने प्राथमिक जांच कर उसे स्लाइन लगाया और गंभीर स्थिति देखते हुए तत्काल अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया।
आरोप है कि अस्पताल में चिकित्सक नहीं होने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई। कविता को एम्बुलेंस से अंबिकापुर लाया जा रहा था, तभी रास्ते में ही उसका प्रसव हो गया। जन्म के कुछ देर बाद ही नवजात की मौत हो गई। इसके बाद स्वजन प्रसूता को लेकर सुबह करीब 6:50 बजे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे, जहां परीक्षण के दौरान डॉक्टरों को उनका पल्स और बीपी नहीं मिला और उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
मृतका के पति आदित्य सिंह ने बताया कि सोमवार की रात कविता के पेट में तेज दर्द होने पर वे तुरंत सूरजपुर अस्पताल पहुंचे थे। लेकिन चिकित्सक मौजूद नहीं होने के कारण उन्हें मजबूरी में रेफर किया गया। उनका कहना है कि यदि सूरजपुर अस्पताल में समय पर चिकित्सक मिल जाते, तो उनकी पत्नी और बच्चे दोनों की जान बचाई जा सकती थी।
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अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अविनाशी कुजूर ने बताया कि प्रसूता को नौ दिसंबर की सुबह करीब 4:30 बजे सूरजपुर से रेफर किया गया था। अस्पताल पहुंचने पर उनकी स्थिति अत्यंत गंभीर थी और परीक्षण में पल्स एवं बीपी नहीं पाया गया। उसकी मृत्यु हो चुकी थी। घरवालों ने बताया कि रास्ते मे ही उसका प्रसव हो गया था। रास्ते मे उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो चुकी थी।