नईदुनिया, दुर्गा प्रसाद बंजारा, रायपुर। एडीईओ भर्ती परीक्षा में फर्जी डिग्री की आशंका को लेकर प्रदेश स्तर पर जांच शुरू हो गई है। व्यापमं द्वारा आयोजित इस परीक्षा में कुल 200 पदों पर भर्ती की जानी है। परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद ग्रामीण विकास विषय में पीजीडी डिग्री और डिप्लोमा धारकों को दिए जा रहे बोनस अंक को लेकर अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई थी, जिसपर जांच शुरू हुई है।
शिकायत के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने ग्रामीण विकास विभाग को उन विश्वविद्यालयों की सूची सौंप दी है, जहां ग्रामीण विकास की डिग्री या डिप्लोमा दी जा रही है। दरअसल अभ्यर्थियों ने एक सितंबर को विकास आयुक्त से लिखित शिकायत की थी।
अभ्यर्थियों के अनुसार एडीईओ की भर्ती परीक्षा में पीजीडीआरडी (पोस्ट ग्रेजुएशन इन रूरल डेवलपमेंट), एमएससी(मास्टर ऑफ सोशल साइंस), एमएआरडी (मास्टर्स ऑफ आर्ट्स इन रूरल डेवलपमेंट) की डिग्री या डिप्लोमा वालों को 15 अंकों के बोनस अंक दिए गए हैं, जबकि अभ्यर्थियों ने RTI से जानकारी लेकर साक्ष्यों के साथ बताया है कि किस तरह से कुछ उम्मीदवारों ने बोनस अंक पाने के लिए फर्जी डिग्री प्राप्त की है और विश्वविद्यालयों ने नियमों से विपरित जाकर डिग्रियां बांटीं, जिसके बाद अब इस पूरे मामले की जांच शुरू की गई है।
अभ्यर्थियों ने अपनी शिकायत में बताया कि कुछ यूनिवर्सिटियों ने किस तरह से प्राइवेट और डिस्टेंस मोड में डिग्रियां बांटी, जबकि इन यूनिवर्सिटियों के पास केवल रेगुलर मोड पर ही डिग्रियां बांटने के लिए मान्यता थी। शिकायत में यह भी दर्शाया गया है कि केवल इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय ही डिस्टेंस और प्राइवेट मोड में डिग्रीयां बांटने के लिए मान्य है।
इस भर्ती परीक्षा में लिखित परीक्षा 100 अंकों की रखी गई थी। नियमों के अनुसार ग्रामीण विकास विषय में पीजीडी डिग्री या डिप्लोमा धारकों को अतिरिक्त 15 अंक दिए जा रहे हैं। यानी, यदि किसी उम्मीदवार ने लिखित परीक्षा में 60 अंक हासिल किए हैं और उसके पास मान्य डिग्री है, तो उसकी अंतिम मेरिट में 75 अंक जुड़ जाएंगे। यही बोनस अंक विवाद का कारण बने हैं।
कई अभ्यर्थियों का आरोप है कि कुछ निजी विश्वविद्यालयों और दूरस्थ शिक्षा संस्थानों से ऐसे प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, जिनकी वैधता पर सवाल है। 17 की लिस्ट भेजी लेकिन विभाग ने इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग से राज्य के विश्वविद्यालयों से जानकारी मांगी है। जिस पर उच्च शिक्षा विभाग ने 17 निजी विश्वविद्यालय और नौ शासकीय विश्वविद्यालयों की सूची तैयार की है।
इनमें से सात विश्वविद्यालयों ने साफ-साफ कहा है कि उनके यहां ग्रामीण विकास विषय में न तो कोई डिग्री संचालित है और न ही डिप्लोमा। वहीं, 10 निजी विश्वविद्यालयों की ओर से जानकारी अपडेट करके नहीं भेजी गई है। इस लिस्ट में वे यूनिवर्सिटी भी हैं जिन पर आरोप लगे हैं।
मामले की जांच में सबसे ज्यादा सवाल निजी विश्वविद्यालयों पर उठ रहे हैं। खासकर उन विश्वविद्यालयों पर जो दूरस्थ शिक्षा या आफ-कैंपस मोड में कोर्स चलाने के लिए पहले से विवादों में रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि केवल वही डिग्री और डिप्लोमा मान्य होंगे जो सूचीबद्ध और मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित नियमित पाठ्यक्रम से प्राप्त हुए हैं। जांच पूरी होने के बाद उन विश्वविद्यालयों पर गाज गिर सकती है, जो बिना मान्यता के ग्रामीण विकास जैसे कोर्स चलाकर प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं।
व्यापम की परीक्षाओं पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। एडीईओ परीक्षा में गलत प्रश्नों और विवादित विकल्पों के कारण परीक्षा पहले से ही विवादों में रही है।
अगस्त में जारी किए गए एडीईओ परीक्षा के माडल आंसर में से 12 प्रश्नों को ही विलोपित करना पड़ा था। अब फर्जी डिग्री का मुद्दा सामने आने से परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर और प्रश्नचिह्न लग गए हैं।