
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आगाज़ रविवार को नवा रायपुर के नवनिर्मित भवन में अत्यंत महत्वकांक्षी अंजोर विजन डाक्यूमेंट 2047 पर चर्चा के साथ हुआ। हालांकि, कांग्रेस द्वारा कार्यवाही का बहिष्कार किए जाने के कारण सदन में केवल सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही इस महत्वपूर्ण दस्तावेज़ पर अपनी बात रखी। अंजोर विजन का मुख्य लक्ष्य 2047 तक राज्य के जीडीपी को बढ़ाकर ₹75 लाख करोड़ तक ले जाना और छत्तीसगढ़ को एक विकसित राज्य की श्रेणी में स्थापित करना है।
जानकारों का कहना है कि ''अंजोर विजन'' दस्तावेज़ भाजपा सरकार के बड़े लक्ष्य और इरादों को स्पष्ट करता है। ₹75 लाख करोड़ जीडीपी का लक्ष्य अत्यंत महत्वाकांक्षी है, जिसके लिए राज्य को लगातार 12 से 13 प्रतिशत की विकास दर बनाए रखनी होगी। ''जन विजन'' के रूप में एक लाख लोगों की सलाह शामिल करना सरकार की समावेशी नीति को दर्शाता है।
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बिना प्रश्नकाल शुरू हुए सत्र में अंजोर विजन डाक्यूमेंट 2047 पेश किया। उन्होंने बताया कि यह दस्तावेज़ कोई राजनीतिक घोषणा पत्र नहीं, बल्कि एक लाख लोगों की सलाह से तैयार किया गया ''जन विजन'' है। यह विजन सामाजिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर राज्य के बदलाव का खाका खींचता है। इसके तहत प्रदेश में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी को प्रभावी ढंग से कम करना। शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी लाना और सभी वर्गों के लिए व्यापक रोजगार सृजन करना है।
चौधरी ने विपक्ष खासकर कांग्रेस पर विजन दस्तावेज़ की चर्चा का बहिष्कार करने के लिए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि विपक्ष विजन पर सवाल उठाता है, जबकि आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य (विजन) होना आवश्यक है। उन्होंने कांग्रेस के बहिष्कार को सेंट्रल विस्टा के बहिष्कार जैसा बताते हुए टिप्पणी की कि इसी तरह जनता भी कांग्रेस का बहिष्कार कर रही है। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने मीडिया से चर्चा में विपक्ष से सवाल किया, "क्या कांग्रेस विजन डाक्यूमेंट को भाजपा का समझती है? यह जन विजन है।" उन्होंने कांग्रेस पर छत्तीसगढ़ की जनता से विमुख होने का आरोप लगाया।
यह भी पढ़ें- माओवादियों को बड़ा झटका, MMC जोन में माओवादी डंप से मिले ₹11 लाख, बालाघाट पुलिस ने बरामद की रकम
सरकार ने स्पष्ट किया है कि ''अंजोर विजन'' की सफलता के केंद्र में राज्य की युवा शक्ति है। वित्त मंत्री चौधरी ने युवाओं के कौशल विकास पर विशेष फोकस करने की बात कही। सरकार का लक्ष्य उन क्षेत्रों की पहचान करना है जहां विकास धीमा है और उन्हें दूर करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप करना है। अगले पांच वर्षों में पिछली सरकार के पांच वर्षों की तुलना में अधिक सरकारी भर्तियां करने का वादा किया गया है।
सरकार एक नई औद्योगिक नीति पर काम कर रही है जो विशेष रूप से ''जाब क्रिएशन'' पर केंद्रित होगी, न कि केवल निवेश आकर्षित करने पर। राज्य में शिक्षा और कौशल को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर के संस्थान स्थापित करने की योजना बनाई गई है। चौधरी ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में भी बात की और कहा कि दुनिया में भारत सबसे युवा आबादी वाला देश है और यह 2047 तक 64 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, जिसका लाभ आज की पीढ़ी को मिलेगा।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने सदन की 25 साल की यात्रा का स्मरण करते हुए कार्यवाही शुरू की। चर्चा के दौरान, भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने दो महत्वपूर्ण और ज्वलंत मुद्दे उठाए। धर्मजीत सिंह ने दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में माओवादी हिड़मा के समर्थन में नारे लगाने की घटना पर कड़ा विरोध जताया।
यह भी पढ़ें- DSP लव ट्रैप मामला... दीपक टंडन पर पुलिस मेहरबान, 28 लाख की ठगी के मामले में 6 वारंट के बाद भी नहीं हुई गिरफ्तारी
उन्होंने मांग की कि विधानसभा में एक प्रस्ताव लाकर ऐसे कृत्यों की आलोचना की जाए। उन्होंने तखतपुर विधायक के रूप में मांग की कि माओवादी हिड़मा और बसवराजू की क्रूरता से अनजान ऐसे समर्थकों को बस्तर का भ्रमण कराया जाए, जिससे वे माओवादियों के अत्याचारों को प्रत्यक्ष रूप से जान सकें। यह मांग सरकार के माओवाद पर सख्त रुख को रेखांकित करती है।
इसके साथ ही, विधायक धर्मजीत सिंह ने अपने क्षेत्र के विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री से विधायक निधि को बढ़ाकर ₹10 करोड़ करने की मांग रखी। उन्होंने पिछली सरकार द्वारा निधि बढ़ाए जाने के उल्लेख के साथ मुख्यमंत्री से क्रांतिकारी कदम उठाने का आग्रह किया।