
नईदुनिया रायपुर: एमबीबीएस की पढ़ाई को हिंदी माध्यम से उपलब्ध कराने के सरकारी दावों पर अब गंभीर सवाल (Hindi Medium MBBS Claim Under Question) खड़े हो रहे हैं। सरकार ने पाठ्यक्रम की किताबें भले ही हिंदी में उपलब्ध करा दी हों, लेकिन परीक्षा केवल अंग्रेजी में स्वीकार की जाती है।
इस असमानता का सबसे अधिक खामियाजा रायपुर मेडिकल कॉलेज के एक छात्र को भुगतना पड़ रहा है, जो अब कालेज से निष्कासन के कगार पर है। यह छात्र एमबीबीएस की परीक्षा में तीन बार फेल हो चुका है और NMC (नेशनल मेडिकल कमीशन) नियमों के अनुसार चौथी असफलता पर उसे कॉलेज से बाहर कर दिया जाएगा।
छात्र मध्यप्रदेश के रीवा जिले के बैकुंठपुर का निवासी है। उसका कहना है कि परीक्षा आयोजित करने वाला आयुष विश्वविद्यालय और मेडिकल शिक्षा संचालनालय समस्या का समाधान करने की बजाय जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालकर बचते रहे हैं। भाषा संबंधी बाधाओं और प्रशासनिक उलझनों के कारण उसका पूरा करियर संकट में है। वह कई महीनों से कार्यालयों के चक्कर लगाता रहा है और मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव व चिकित्सा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर भी कोई राहत नहीं मिली है।
छात्र ने बताया कि उसने वर्ष 2023 में ऑल इंडिया कोटे से रायपुर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया था। बायोकेमिस्ट्री विषय में वह तीन बार असफल हो चुका है। हिंदी माध्यम की पृष्ठभूमि के कारण अंग्रेजी में एमबीबीएस की पढ़ाई और परीक्षा देना उसके लिए बेहद कठिन हो रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हिंदी दिवस के अवसर पर घोषणा की थी कि मध्यप्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी छात्रों को सुविधा के अनुसार एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी माध्यम में उपलब्ध कराई जाएगी और सत्र 2024-25 से इसे शुरू किया जाएगा। लेकिन वास्तविकता यह है कि चिकित्सा शिक्षा प्रशासन हिंदी माध्यम की इस सुविधा से अप्रत्यक्ष रूप से इंकार कर रहा है।
छात्र ने अपने पत्र में लिखा-
“महोदय, मैं बैकुंठपुर का निवासी हूं। अंग्रेजी माध्यम से एमबीबीएस पढ़ाई कर रहा था, किंतु प्रथम वर्ष की परीक्षा में एक विषय में बार-बार बैक होने से आगे नहीं बढ़ पा रहा हूं। हिंदी माध्यम का छात्र होने के कारण पूर्णत: अंग्रेजी में पढ़ाई व परीक्षा देने में गंभीर कठिनाइयां हो रही हैं। तीन बार बैक होने से मानसिक और आर्थिक रूप से बहुत परेशान हूं। परीक्षा में हिंदी व अंग्रेजी मिश्रित माध्यम से उत्तर लिखने की अनुमति नहीं दी जा रही है। आपकी हिंदी माध्यम में एमबीबीएस की घोषणा का पालन नहीं हो रहा है। यदि चौथी बार बैक हुआ तो एनएमसी नियमों के अनुसार मुझे बाहर कर दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में मेरे पास आत्महत्या के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचेगा।”
हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर राज्य शासन की ओर से अभी तक कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं। एनएमसी के आदेशानुसार कोई विद्यार्थी किसी भी भाषा में परीक्षा दे सकता है। सरकार के आदेश प्राप्त होने पर आयुष विश्वविद्यालय एक क्या, चार भाषाओं में परीक्षा ले सकती है।
-डा. प्रदीप कुमार पात्रा, कुलपति, पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय, रायपुर
विद्यार्थी हिंदी भाषा में पढ़ाई और परीक्षा दे सकता है। हालांकि, परीक्षा देने से पहले विद्यार्थी को विश्वविद्यालय को आवेदन देकर सूचना देनी होती है। एमबीबीएस में प्रवेश की जिम्मेदारी डीएमई कार्यालय और परीक्षा लेने की विश्वविद्यालय की होती है।
-डा. यूएस पैकरा,डीएमई