डिजिटल डेस्क। भारत में महिलाओं और पीरियड्स को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं। अक्सर लड़कियों को बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि मासिक धर्म (Menstruation) के दौरान उन्हें कई नियमों का पालन करना चाहिए। इनमें मंदिर न जाना, सिर न धोना, रसोई में प्रवेश न करना जैसी बातें शामिल हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मान्यताओं के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं।
पीरियड्स को अक्सर 'अशुद्ध' माना गया है, जिसके चलते महिलाओं को इस दौरान मंदिर और पूजा-घर में जाने से रोका जाता है। कई जगहों पर उन्हें रसोई के काम और घर के अन्य कामों से भी दूर रखा जाता है। कई लोग मानते हैं कि शरीर से निकलने वाले रक्त के कारण मंदिर अपवित्र हो सकता है।
कई जगहों पर तो महिलाओं को पहले दिन चाण्डाली, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी और तीसरे दिन रजकी तक कहा जाता है। हालांकि समय के साथ सोच में बदलाव आया है और धीरे-धीरे लोग इसे प्राकृतिक प्रक्रिया मानने लगे हैं।
1. द्रौपदी का प्रसंग
महाभारत काल में जब द्रौपदी मासिक धर्म से गुजर रही थीं, तब उन्हें आराम करने की सलाह दी गई थी। इसी समय द्रौपदी का चीरहरण हुआ और भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की। इस प्रसंग से यह समझा जाता है कि पीरियड्स में महिलाओं को आराम की आवश्यकता होती है।
2. कामाख्या देवी की कथा
असम के गुवाहाटी स्थित कामाख्या मंदिर में देवी सती के गर्भ अंग की पूजा होती है। मान्यता है कि यहां देवी तीन दिन तक मासिक धर्म से गुजरती हैं। इस दौरान मंदिर बंद रहता है और चौथे दिन कपड़े को प्रसाद स्वरूप भक्तों को दिया जाता है। इसे ब्लीडिंग गॉडेस की पूजा कहा जाता है।
1. सुरक्षा भी है कारण - प्राचीन समय में महिलाएं सुबह-सुबह जंगलों से होकर मंदिर जाती थीं। माना जाता था कि खून की गंध से जंगली जानवर आकर्षित होकर हमला कर सकते हैं।
2. ऊर्जा और वाइब्रेशन - कहा जाता है कि मंदिर की वाइब्रेशन बहुत हाई होती है, जबकि पीरियड्स के दौरान शरीर की ऊर्जा (Energy Level) लो रहती है। ऐसे में असहजता या स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।
3. आराम की आवश्यकता - पीरियड्स के दौरान शरीर को ज्यादा आराम चाहिए। इसलिए महिलाओं को काम-काज और धार्मिक गतिविधियों से दूर रहने की सलाह दी गई।
1. हार्मोनल बदलाव - मासिक धर्म में हार्मोन तेजी से बदलते हैं, जिससे दर्द और मूड स्विंग्स ज्यादा होते हैं।
2. पीएमएस और हाइजीन - प्री-मेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम और स्वच्छता की कमी के कारण इस समय घर पर आराम करना अधिक सुरक्षित माना जाता है।
3. सिर न धोने की धारणा - पुराने समय में गर्म पानी की सुविधा नहीं होती थी, ठंडे पानी से सिर धोने पर सर्दी-जुकाम और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता था। इसलिए पीरियड्स में सिर धोने की मनाही रखी गई।
मासिक धर्म कोई पाप या अशुद्धता नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के जीवन का प्राकृतिक हिस्सा है। मंदिर जाने या सिर धोने की मनाही धार्मिक और सामाजिक कारणों से जुड़ी थी, लेकिन वैज्ञानिक कारणों से समझें तो यह सिर्फ महिलाओं की सुविधा और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए था। आज समय बदल रहा है और समाज में जागरूकता बढ़ रही है, जिससे इस तरह की भ्रांतियां धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं।