राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। प्रदेश में फर्जी बिलों से जीएसटी चोरी का इस वर्ष दूसरा बड़ा रैकेट उजागर हुआ है। राज्य जीएसटी विभाग और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की संयुक्त कार्रवाई में फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) लेने के नए-नए तरीके पता चले हैं। ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें करोड़ों रुपये के लेन-देन में कारोबारी एक-दूसरे के लिए खरीददार और विक्रेता बन गए। पहले एक ने डेढ़ करोड़ रुपये की सीमेंट दूसरे को बेचना दिखाया। इसके बाद दूसरे ने लगभग इतनी ही कीमत का माल पहले को बेचने का बिल तैयार किया। अभी तक ऐसे 25 से अधिक फर्जी बिल मिल चुके हैं। यह आंकड़ा 150 तक पहुंचने के आसार हैं।
बता दें कि ईओडब्ल्यू रीवा और जीएसटी विभाग की टीम ने मंगलवार को प्रदेश के 12 जिलों में 16 स्थानों पर छापे की कार्रवाई की थी। अभी तक इसमें 20 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता चला है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि यह आंकड़ा और बढ़ेगा। टीम ने सबसे पहले सिंगरौली में एक सीए के यहां छापा मारा था।
यहां मिले दस्तावेजों की जांच व पूछताछ के बाद सिंगरौली में नौ, भोपाल में तीन, इंदौर में दो, छतरपुर में एक, ग्वालियर में एक स्थान पर छापे की कार्रवाई हुई। कुछ ऐसी फर्मों के नाम भी बिलों में मिले हैं जो मौके पर हैं ही नहीं। यानी फर्जी नाम से फर्म बनाकर बोगस बिलिंग की गई।
अभी ऐसी तीन फर्म मिली हैं। इस मामले में 20 से अधिक लोगों पर ईओडब्ल्यू ने एफआइआर दर्ज करने की तैयारी की है। इसके बाद गिरफ्तारियां भी की जा सकती हैं। बता दें कि इसके पहले इसी वर्ष फर्जी बिलों से जीएसटी चोरी का बड़ा गिरोह पकड़ा था, जिसमें कोयला कारोबारी भी शामिल थे। इसमें लगभग 34 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी सामने आई थी।