
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: मध्य प्रदेश में नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर लंबे समय से जारी असमंजस पर उच्च न्यायालय जबलपुर ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति प्रदीप मित्तल की खंडपीठ ने हजारों नर्सिंग छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को प्रवेश प्रक्रिया के लिए तत्काल औपचारिक आदेश जारी करने के निर्देश दिए हैं।
यह याचिका एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार सहित अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय ने अदालत को अवगत कराया कि सर्वोच्च न्यायालय ने नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दी थी। इसके बावजूद राज्य नर्सिंग परिषद ने पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग को काउंसलिंग प्रक्रिया से बाहर कर दिया, जो शीर्ष अदालत के आदेशों के विपरीत है।
अधिवक्ता ने यह भी दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि मध्य प्रदेश में रिक्त सीटों पर उन्हीं अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जाए जिन्होंने राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा दी है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर हुई लापरवाही के कारण हजारों सीटें खाली रह गईं।
उच्च न्यायालय ने इन रिक्त सीटों की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग में शासकीय कॉलेजों की 66 और निजी कॉलेजों की 3018 सीटें खाली हैं। वहीं एमएससी नर्सिंग में शासकीय कॉलेजों की 70 और निजी कॉलेजों की 1120 सीटें रिक्त पाई गईं।
अदालत ने भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी) को निर्देश दिए कि वह शीघ्र औपचारिक आदेश जारी करे, जिससे नियमों के अनुरूप अलग-अलग काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू की जा सके। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पूरी प्रवेश प्रक्रिया 31 दिसंबर 2025 तक हर हाल में पूरी की जाए।