
नईदुनिया प्रतिनिधि, दतिया: मंगलवार सुबह दतिया जिला अस्पताल की वास्तविक स्थिति तब खुलकर सामने आ गई जब कलेक्टर स्वप्निल वानखड़े अचानक निरीक्षण के लिए पहुंच गए। उनके आते ही अस्पताल प्रशासन में खलबली मच गई। कलेक्टर ने जैसे ही विभिन्न वार्डों और गैलरी का निरीक्षण शुरू किया, सफाई व्यवस्था की लापरवाही एक-एक करके सामने आती गई। उन्होंने खुद फर्श पर हाथ फेरकर दिखाया कि सुबह तक पोंछा भी नहीं लगाया गया था।
सफाई कर्मचारी ने अपनी गलती छिपाने की कोशिश की, जिस पर कलेक्टर ने नाराज होते हुए साफ शब्दों में कहा, “मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश न करें।” गैलरी हो या फर्श हर जगह धूल की मोटी परत जमी मिली। कलेक्टर ने कहा कि अस्पताल जैसा संवेदनशील स्थान गंदगी का अड्डा नहीं होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द सुधार नहीं हुआ, तो कठोर कार्रवाई तय है।
निरीक्षण के दौरान सिविल सर्जन डॉ. केसी राठौर और आरएमओ डॉ. दिनेश तोमर भी मौजूद रहे, लेकिन अव्यवस्था पर रोक न लगा पाने के कारण वे चुप्पी साधे रहे। कलेक्टर वानखड़े का यह दौरा जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की नवीन ओपीडी से लगातार मिल रही शिकायतों के बाद किया गया था। सुबह लगभग नौ से दस बजे के बीच पहुंचे कलेक्टर ने अस्पताल के कई विभागों में अनुशासनहीनता, स्टाफ की अनुपस्थिति और मरीजों के प्रति उपेक्षा को गंभीर रूप में पाया।
महिला प्रसूति वार्ड, आईसीयू वार्ड और अन्य कई जगहों पर गंदगी, कंबलों की कमी और खराब उपकरण मुख्य समस्याओं के रूप में सामने आईं। सर्दी के मौसम में नवजात और प्रसूता वार्ड में गर्म पानी उपलब्ध न होना भी बड़ी लापरवाही मानी गई। इस पर कलेक्टर ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि मरीजों की मूलभूत सुविधाओं में किसी भी प्रकार की कमी स्वीकार नहीं की जाएगी।
जैसे ही अस्पताल में कलेक्टर के पहुंचने की खबर फैली, कई मरीजों और उनके परिजनों ने बेझिझक अपनी समस्याएँ उन्हें बताईं। किसी ने वार्डों में गंदगी की शिकायत की तो किसी ने समय पर दवा न मिलने और स्टाफ के व्यवहार पर सवाल उठाए। इन शिकायतों ने जिला अस्पताल की खामियों की असली तस्वीर उजागर कर दी।
कलेक्टर ने अस्पताल अधीक्षक और संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि स्वच्छता, उपकरणों की मरम्मत, कंबलों की उपलब्धता और गर्म पानी की व्यवस्था तुरंत सुनिश्चित की जाए। उन्होंने स्टाफ की उपस्थिति की सख्त निगरानी के आदेश भी दिए।
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने विभिन्न वार्डों के बिस्तरों की स्थिति देखी और कमी मिलने पर सुधार की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि मौसम परिवर्तन को देखते हुए अस्पताल को मरीजों की सुरक्षा और सुविधा के लिए पूर्ण तैयारी करनी चाहिए।
औचक निरीक्षण के बाद अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप की स्थिति बन गई। मरीजों ने उम्मीद जताई कि कलेक्टर की सख्ती के बाद अब उन्हें अस्पताल से कंबल और आवश्यक सुविधाएँ समय पर मिलेंगी। कई मरीजों ने बताया कि वे कई दिनों से घर से कंबल लाकर ठंड काट रहे थे। निरीक्षण के बाद उन्हें अस्पताल व्यवस्थाओं में सुधार की संभावना दिखने लगी है।
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