
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने के सरकार के सपने को सरकारी डॉक्टर ही पलीता लगाने में जुटे हैं। हालत यह है कि ये डॉक्टर सरकार से मोटी तनख्वाह लेने के बावजूद सरकारी अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं कर रहे। सरकारी अस्पताल की ओपीडी के समय में निजी क्लीनिक में मरीजों को देखते हैं और इसके एवज में मोटी फीस भी वसूल रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में ओपीडी समय में अपने निजी क्लीनिक पर मरीजों का उपचार करते मिले त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल नागर।
मामला डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया तक पहुंचा और जांच कमेटी गठित कर दी गई। शिकायतकर्ता ने लिखित शिकायत में बताया है कि बुधवार दोपहर करीब 12 बजे वह एमवाय अस्पताल में उपचार के लिए गया था, लेकिन उसे डॉ. नागर नहीं मिले। जब उन्हें फोन लगाया तो उनके सहायक ने कहा कि परामर्श के लिए साकेत नगर स्थित क्लीनिक पर आना होगा।
इसके बाद शिकायतकर्ता अभिजित पांडे डॉ. नागर के क्लीनिक पहुंचा और उपचार करवाया। इसके एवज में उन्होंने डॉक्टर को 800 रुपये परामर्श भी चुकाया। ड्यूटी समय में निजी क्लीनिक में बैठे डॉ. नागर के फोटो-वीडियो भी लिए। यही उपचार मरीज एमवायएच में कराते तो उन्हें 800 के बजाय सिर्फ दस रुपये ओपीडी शुल्क लगता। शिकायत के बाद अब डीन ने समिति गठित कर जांच शुरू करवा दी है।
सभी डॉक्टरों को ड्यूटी के दौरान दोपहर दो बजे तक एमजीएम मेडिकल कॉलेज में रहना पड़ता है, लेकिन अटेंडेंस लगाकर यहां से चले जाते हैं। जब कोई परेशान मरीज इनसे फोन पर इलाज की बात करता है तो यह निजी क्लीनिक पर ही बुलाते हैं। गरीब और जरूरतमंद मरीजों को इसके कारण आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
यह पहली बार नहीं है जब एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की निजी क्लीनिक पर काम करने की शिकायत हुई है। इससे पहले भी डॉ. अतुल शेंडे, डॉ. संजय खरे, डॉ. जुबिन सोनाने, डॉ. विनोद राज आदि की शिकायतें हो चुकी हैं, लेकिन सिर्फ चेतावनी देकर उन्हें छोड़ दिया गया। अब तक जिम्मेदारों ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
हमारे पास डॉ. राहुल नागर के संबंध में शिकायत आई है। मामले में जांच कमेटी गठित की गई है। जांच पूरी होने के बाद यदि गलती पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. अरविंद घनघोरिया, डीन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज