घर की छत पर तीन टन वजनी ट्रक रख सोशल मीडिया पर छाए अमरकांत पटेल, बड़ी रोचक है इसके पीछे की कहानी
जबलपुर के अमरकांत पटेल ने संघर्ष की याद को संजोते हुए अपने पहले ट्रक को घर की छत पर सजा दिया। क्लीनर से सफल ट्रांसपोर्टर बने अमरकांत की यह पहल युवाओं ...और पढ़ें
Publish Date: Mon, 15 Dec 2025 09:37:51 AM (IST)Updated Date: Mon, 15 Dec 2025 09:37:51 AM (IST)
अमरकांत पटेल की संघर्ष से सफलता की कहानी। (फोटो- नईदुनिया प्रतिनिधि)HighLights
- क्लीनर से ट्रांसपोर्टर बनने की संघर्षपूर्ण कहानी
- पहला ट्रक घर की छत पर सजा
- तीन टन वजनी ट्रक आकर्षण का केंद्र
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। संस्कारधानी के गढ़ा निवासी अमरकांत पटेल ने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी को अनोखे अंदाज में संजो कर रखा है। अमरकांत ने उस ट्रक को अपने घर की छत पर सजा कर रखा है, जिसने उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल दी। करीब तीन टन वजनी यह ट्रक लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इंटरनेट मीडिया में भी घर की छत पर रखा ट्रक ट्रोल हो रहा है।
लोग इससे बड़े ही आश्चर्य से देख रहे है। छत पर रखा ट्रक चालू हालत में है, लेकिन वे अब अपने इस साथी को आराम देना चाहते हैं। उनका मानना है कि लोग अक्सर अपनी शुरुआत भूल जाते हैं, इसलिए उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष की याद को हमेशा आंखों के सामने रखने का फैसला किया। यह ट्रक न केवल उनकी पहचान बन चुका है, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का प्रतीक भी है।
ट्रक में करते थे क्लीनर का काम
- मैहर के मूल निवासी अमरकांत पटेल वर्ष 2005 में ट्रक में क्लीनर का काम करते थे। सीमित संसाधन, कमजोर आर्थिक स्थिति और 10वीं में असफल होने के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ परिवार की जिम्मेदारियां संभालने के लिए यह काम शुरू किया। धीरे-धीरे ट्रक चलाना सीखा और कड़ी मेहनत के बल पर 2011 में अपना पहला ट्रक खरीदा। इसी ट्रक से उन्होंने देश के कई राज्यों में माल परिवहन किया और लगातार आगे बढ़ते गए।
- अमरकांत बताते हैं कि 2015 तक उन्होंने कई और ट्रक खरीद लिए और फिर खुद ट्रक चलाना बंद कर दिया। उन्होंने बताया कि ट्रक का परमिट 15 वर्षों का होता है। परमिट खत्म होने के बाद ट्रक बेचने पर मामूली कीमत ही मिलती, जबकि सड़क किनारे रखने पर वह कबाड़ बन जाता, इसलिए उन्होंने निर्णय लिया कि इस ट्रक को अपनी मेहनत की निशानी के रूप में हमेशा अपने साथ रखा जाए। इसी सोच के तहत उन्होंने नए बंगले की छत पर ट्रक को सुरक्षित और सुसज्जित तरीके से स्थापित कराया।
पहले क्लीनर समझकर नजरअंदाज करते थे
अमरकांत का कहना है कि एक समय लोग उन्हें सिर्फ क्लीनर समझकर नजरअंदाज करते थे, लेकिन आज वही लोग सम्मान की नजर से देखते हैं। यह बदलाव उनकी मेहनत और इसी ट्रक की बदौलत संभव हुआ। छत पर रखे इस ट्रक को देखने आज दूर-दूर से लोग आते हैं और वीडियो व रील बनाते हैं। उन्होंने बताया कि पहला ट्रक खरीदने में एक दोस्त के पिता ने गारंटी देकर मदद की थी। उसी ट्रक पर सवार होकर उन्होंने पूरे देश की यात्रा की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।