अपनी मर्जी से अलग रहने वाली पत्नी भरण-पोषण की हकदार नहीं, कुटुंब न्यायालय का फैसला
कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश विजय सिंह कावछा की अदालत ने अपने एक आदेश में साफ किया कि अपनी मर्जी से अलग रहने वाली पत्नी भरण-पोषण की हकदार नहीं है। जबलपुर निवासी संदीप यादव की ओर से अधिवक्ता अपूर्व त्रिवेदी ने पक्ष रखा।
Publish Date: Thu, 11 Dec 2025 09:20:27 PM (IST)
Updated Date: Thu, 11 Dec 2025 09:20:27 PM (IST)
कुटुंब न्यायालय का फैसलानईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश विजय सिंह कावछा की अदालत ने अपने एक आदेश में साफ किया कि अपनी मर्जी से अलग रहने वाली पत्नी भरण-पोषण की हकदार नहीं है। जबलपुर निवासी संदीप यादव की ओर से अधिवक्ता अपूर्व त्रिवेदी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि संदीप की पत्नी सारिका यादव ने भरण-पोषण की मांग की है।
40 हजार रुपये भत्ता प्रतिमाह की मांग
उसका कहना है कि पति केंद्रीय कर्मी है और उसका वेतन एक लाख रुपये प्रतिमाह है। पारिवारिक विवाद के बाद से वह अलग रह रही है। लिहाजा, जीवन निर्वहन हेतु 40 हजार रुपये भत्ता प्रतिमाह दिलाया जाए। पति का कहना है कि वह पुत्री को छोडकर ससुराल से बिना किसी को बताए चली गई थी।
दाम्पत्य संबंध सामान्य नहीं रहे
विवाह के बाद से उनके दाम्पत्य संबंध सामान्य नहीं रहे। वर्ष 2016 में ही पत्नी ने संबंध समाप्त करने का इरादा जाहिर कर दिया था। भोजन मांगने पर बच्चों को जलाने, मारने पीटने का कृत्य करती थी। बच्चे दिन भर भूखे रहते थे। वह खुद बिना टिफिन के ऑफिस जाता था।
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