
धर्म डेस्क। सफला एकादशी का पर्व पौष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। जैसा कि इसके नाम (सफला) से स्पष्ट है, यह व्रत जीवन के हर कार्य में सफलता और शुभता प्रदान करने वाला माना जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। भगवान विष्णु की प्रिया माने जाने के कारण, सफला एकादशी के दिन देवी तुलसी की विशेष पूजा का विधान है।
धार्मिक मान्यता है कि जो भक्त इस दिन पूरी विधि-विधान से मां तुलसी की पूजा करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, सफला एकादशी के पर्व की शुरुआत 14 दिसंबर को रात 08 बजकर 46 मिनट पर हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 15 दिसंबर को रात 10 बजकर 09 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में 15 दिसंबर को सफला एकादशी व्रत किया जाएगा और व्रत का पारण अगले दिन 16 दिसंबर को किया जाएगा।
एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद सफला एकादशी व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु के साथ मां तुलसी की पूजा करें। गमले के चारों ओर साफ-सफाई कर तुलसी जी को हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं और लाल चुनरी अर्पित करें।
तुलसी जी के पास शुद्ध घी का अखंड दीपक (जो पूरी रात जलता रहे) जलाएं। खीर या मिश्री का भोग लगाएं, और संभव हो तो घर पर विशेष अनुष्ठान बनाकर भोग चढ़ाएं।
पूजा के दौरान तुलसी की जड़ के पास एक सिक्का रखें। पूजा समाप्त होने के बाद इस सिक्के को उठाकर अपने धन स्थान (तिजोरी या पर्स) में रखने से पैसों से जुड़ी सभी मुश्किलें दूर होती हैं।
तुलसी के पौधे के चारों ओर 11 बार परिक्रमा करें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।
आखिर में पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए माँ तुलसी और भगवान विष्णु से क्षमा याचना करें।
ॐ शुभाद्राय नमः।।
मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी, नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वम नमोस्तुते।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
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