_20251212_132333.webp)
टेक्नोलॉजी डेस्क। जब भी हम नया स्मार्टफोन खरीदने की सोचते हैं, तो सबसे पहले कई फीचर्स पर ध्यान देते हैं, जैसे डिस्प्ले कैसी है, प्रोसेसर कितना तेज है, और कैमरा स्पेसिफिकेशंस कितने अच्छे हैं। आज के कैमरों में आपको 50MP, 108MP या 200MP जैसे बड़े-बड़े नंबर देखने को मिल जाते हैं। लेकिन असली सवाल यही है कि मेगापिक्सल आखिर होता क्या है? और इसका कैमरा क्वालिटी से कितना संबंध है?
टेक विशेषज्ञों के अनुसार मेगापिक्सल यानी MP, फोटो में मौजूद कुल पिक्सल की संख्या को दर्शाता है। 1 मेगापिक्सल बराबर होता है 10 लाख पिक्सल। सरल भाषा में कहें तो ज्यादा मेगापिक्सल का मतलब है कि फोटो का रिज़ॉल्यूशन बड़ा होगा और उसमें अधिक डिटेल कैप्चर हो सकेगी। हालांकि यह समझना जरूरी है कि ज्यादा MP होना हमेशा बेहतर फोटो की गारंटी नहीं है।
कैमरा की क्वालिटी कई अन्य चीजों पर निर्भर करती है, जैसे सेंसर का आकार, लेंस की क्वालिटी, इमेज प्रोसेसिंग, सॉफ्टवेयर और फोन की लो-लाइट क्षमता। मेगापिक्सल इन सब में सिर्फ एक हिस्सा होता है, पूरा कैमरा नहीं।
कम मेगापिक्सल होते हुए भी iPhone की फोटो बेहतर क्यों आती है?
iPhone लंबे समय तक 12MP कैमरा का इस्तेमाल करता रहा और हाल ही में 48MP सेंसर अपनाया है। इसके बावजूद इसकी तस्वीरें ज्यादा शार्प, ब्राइट और कलर-एक्यूरेट दिखती हैं। इसका कारण कई महत्वपूर्ण तकनीकें हैं।
iPhone का सेंसर भले मेगापिक्सल में कम हो, लेकिन उसकी क्वालिटी काफी उच्च होती है और वह अधिक रोशनी कैप्चर कर लेता है। इसलिए लो-लाइट में भी क्लियर फोटो आती है। इसके अलावा Apple की असली ताकत उसका सॉफ्टवेयर प्रोसेसिंग है Smart HDR, Neural Engine और रियल-टाइम इमेज ट्यूनिंग तस्वीरों को और निखार देते हैं। इसी के साथ iPhone में इस्तेमाल होने वाले लेंस भी बेहद प्रीमियम क्वालिटी के होते हैं।